प्रसंगवश -
नारायण दास "निर्झर " जी की एक रचना -
कुटी में संत की महलों सा परकोटा नहीं होता
यहाँ पर शाह सूफ़ी में बड़ा छोटा नहीं होता
ये कैसे संत हैं जिनसे न माया छूट पाती है
जो सच्चे संत हैं उन पर तवा लोटा नहीं होता
नारायण दास "निर्झर " जी की एक रचना -
कुटी में संत की महलों सा परकोटा नहीं होता
यहाँ पर शाह सूफ़ी में बड़ा छोटा नहीं होता
ये कैसे संत हैं जिनसे न माया छूट पाती है
जो सच्चे संत हैं उन पर तवा लोटा नहीं होता