Wednesday, November 19, 2014

संत-

प्रसंगवश -
नारायण दास "निर्झर " जी की एक रचना -

कुटी में संत  की महलों सा परकोटा नहीं होता
यहाँ पर शाह सूफ़ी में बड़ा छोटा नहीं होता
ये कैसे संत हैं जिनसे न माया छूट पाती है
जो सच्चे संत हैं उन पर तवा लोटा नहीं होता 

Wednesday, September 24, 2014

Stop cruelty to animal-

किसी भी धर्म के नाम पर पशु हत्या सभ्य समाज पर प्रश्न चिन्ह है चाहे बकरीद हो या देवी पूजा। किसी कानून के बजाय धार्मिक गुरुओं व् समाज सुधारकों को स्वयं पहल करनी होगी। बेजुबानों की कीमत पर हम त्यौहार क्यों मनाते हैं ? क्या उत्सव का यही एक तरीका बचा है.?

Wednesday, July 16, 2014

गुस्ताखी माफ़ -मुझे उस कोट की शिद्दत से तलाश है जिसे सलमान खान ने रिलेक्सो चप्पल के विज्ञापन में फेंक दिया था।  इस बार की ठण्ड में उसे किसी जरूरतमंद को बाकी कपड़ों के साथ दिया जा सकता है। 

Sunday, June 8, 2014

For quality education-

जुलाई मे जब तक सरकारी स्कूल अँगड़ाई ले रहे होंगे तब तक पब्लिक स्कूल आधा कोर्स खत्म कर चुके होंगे . Think to convert government schools into Modern Model Schools.This is time for QUALITY Education . In India still majority of students r covered by govt.schools.(Modernization does not mean privatization.

Wednesday, June 4, 2014

अनाथ सड़कें-

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हिंदुस्तान में रोड एक्सीडेंट में रोजाना 461 लोग मारे जाते हैं अर्थात वर्ष भर में 1,68,265 -कहने का तात्पर्य यह है कि एक  साल में एक क़स्बा इतिहास बन जाता है । यह संख्या मामूली नहीं है। कुछ बेहतर तकनीक का प्रयोग कर इन घटनाओं को कम किया जा सकता है। प्रत्येक सड़क पर  डिवाइडर के निर्माण और पैराफीट बना देने, फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त कर देने से भी बहुत घटनाएँ रोकी जा सकती हैं। सरकार को आम जनता से भी सुझाव  जरूर लेना चाहिए।  सड़कों को अनाथ नहीं छोड़ा जा सकता आखिर सड़कें  विकास की सबसे अहम कड़ी जो  हैं. -ललित 

Friday, April 25, 2014

गली मोहल्ला संस्करण -

मीडिया खास तौर से अख़बारों और रीजनल चैनल पर स्थानीय घटनाएं जिस तरह जगह घेरती जा रही हैं उसको देखकर लगता है कि कुछ दिन बाद किस घर- किस किचन में क्या खाना बना यह भी इनमें प्रकाशित होगा।  आपत्ति इस बात पर नहीं वरन प्रश्न यह है कि देश दुनिया की खबर कहाँ से पढ़ी जाय ? इनके पेज का आधे से ज्यादा  विज्ञापन होता है।  विज्ञापन किसी अखबार और मीडिया में कितना होगा इसकी भी कोई सीमा नहीं। होगी भी तो पाठक क्या कर लेगा ? पढ़ते रहिये आज फलां गांव के फलां  स्कूल में बकरी चरने आयी और इस मोहल्ले में कुछ लोगों  को कुत्ते ने दौड़ा लिया। फ़िलहाल अगर मार्केटिंग बढ़ाने का यही तौर तरीका रहा तो अगले कुछ दिनों में  गली मोहल्ला संस्करण पढ़ने के लिए तैयार रहिये,कम से कम पराठा लपेटने के काम  जरूर आएगा ।  इक्के (तांगे ) का घोड़ा फिर भी दूर तक देख लेगा लेकिन  इक्कीसवीं सदी के हिन्दुस्तान को गली-मोहल्ले वाले चौथे खम्भे के आगे पीछे  घूमना ही बदा है।Exceptions r everywhere . -(सत्यमेव जयते)  

Saturday, April 12, 2014

टक्सालें-

हिन्दी  के मूर्धन्य मनीषी डॉ कुश अक्सर कहा करते हैं  कि टक्सालें ही खराब हो जांय तो अच्छे सिक्कों की उम्मीद नहीं की जा सकती। कुछ चयन आयोगों को देखकर तो फिलहाल इस बात पर धीरे -धीरे यकीन बढ़ चला है।  कर भी क्या  लेंगे?  जिस देश में कुलपति और शिक्षा आयोगों के मुखिया  राजनैतिक पकड़ और धनबल के आधार पर बन ने लगे  हों वहां शिक्षा की दुर्गति होने में बहुत ज्यादा समय नहीं लगेगा। लेकिन इसकी कीमत पूरे देश को जरूर चुकानी पड़ेगी। 

Saturday, April 5, 2014

Free Tibet Movement-

तिब्ब्त - एक देश जो आजाद तो नही पर जिन्दा जरूर है .

Friday, March 28, 2014

A truck can teach-

एक ट्रक के पीछे लिखा था -
"सामने देख -सपने न देख "

Tuesday, March 18, 2014

डिनर से पैसा -

सुना है कुछ लोग डिनर से पैसा इकठ्ठा कर रहे हैं.…
किसी के साथ खाना खाने के लिए चन्दा देने की क्या जरुरत ?
जितने लाख रूपये  डिनर में दिया उतने में तो सैकड़ों  गरीबों-जरूरतमंदों को खुद खिला सकते थे
किसी भी गरीब के घर जाइये - खाइये - वो भले ही भूखा हो आपको खिलायेगा -पैसा तो कत्तई नहीं मांगेगा
आखिर ये भारत की सनातनी  संस्कृति है अमेरिका की नहीं , हम कितना भी गिर जाएं  भौतिकता का नशा अभी इतना भी  नहीं चढ़ा।-(सत्यमेव जयते)

Thursday, March 6, 2014

एक ग़िला :-

जो मैं कहना चाहता था अक्सर या  तो कह नहीं पाया या फिर लोगों ने  उसका दूसरा मतलब निकाल लिया।

Friday, February 7, 2014

अमौसा के मेला.by -(कैलाश गौतम )

Famous poet Kailash Gautam allahabad ki Rachna-

भक्ति के रंग में रंगल गाँव देखा,
धरम में, करम में, सनल गाँव देखा.
अगल में, बगल में सगल गाँव देखा,
अमौसा नहाये चलल गाँव देखा.

एहू हाथे झोरा, ओहू हाथे झोरा,
कान्ही पर बोरा, कपारे पर बोरा.
कमरी में केहू, कथरी में केहू,
रजाई में केहू, दुलाई में केहू.

आजी रँगावत रही गोड़ देखऽ,
हँसत हँउवे बब्बा, तनी जोड़ देखऽ.
घुंघटवे से पूछे पतोहिया कि, अईया,
गठरिया में अब का रखाई बतईहा.

एहर हउवे लुग्गा, ओहर हउवे पूड़ी,
रामायण का लग्गे ह मँड़ुआ के डूंढ़ी.
चाउर आ चिउरा किनारे के ओरी,
नयका चपलवा अचारे का ओरी.

अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.

(इस गठरी और इस व्यवस्था के साथ गाँव का आदमी जब गाँव के बाहर रेलवे स्टेशन पर आता है तब क्या स्थिति होती है ?)

मचल हउवे हल्ला, चढ़ावऽ उतारऽ,
खचाखच भरल रेलगाड़ी निहारऽ.
एहर गुर्री-गुर्रा, ओहर लुर्री‍-लुर्रा,
आ बीचे में हउव शराफत से बोलऽ

चपायल ह केहु, दबायल ह केहू,
घंटन से उपर टँगायल ह केहू.
केहू हक्का-बक्का, केहू लाल-पियर,
केहू फनफनात हउवे जीरा के नियर.

बप्पा रे बप्पा, आ दईया रे दईया,
तनी हम्मे आगे बढ़े देतऽ भईया.
मगर केहू दर से टसकले ना टसके,
टसकले ना टसके, मसकले ना मसके,

छिड़ल ह हिताई-मिताई के चरचा,
पढ़ाई-लिखाई-कमाई के चरचा.
दरोगा के बदली करावत हौ केहू,
लग्गी से पानी पियावत हौ केहू.
अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.

(इसी भीड़ में गाँव का एक नया जोड़ा, साल भर के अन्दरे के मामला है, वो भी आया हुआ है. उसकी गती से उसकी अवस्था की जानकारी हो जाती है बाकी आप आगे देखिये…)

गुलब्बन के दुलहिन चलै धीरे धीरे
भरल नाव जइसे नदी तीरे तीरे.
सजल देहि जइसे हो गवने के डोली,
हँसी हौ बताशा शहद हउवे बोली.

देखैली ठोकर बचावेली धक्का,
मने मन छोहारा, मने मन मुनक्का.
फुटेहरा नियरा मुस्किया मुस्किया के
निहारे ली मेला चिहा के चिहा के.

सबै देवी देवता मनावत चलेली,
नरियर प नरियर चढ़ावत चलेली.
किनारे से देखैं, इशारे से बोलैं
कहीं गाँठ जोड़ें कहीं गाँठ खोलैं.

बड़े मन से मन्दिर में दर्शन करेली
आ दुधै से शिवजी के अरघा भरेली.
चढ़ावें चढ़ावा आ कोठर शिवाला
छूवल चाहें पिण्डी लटक नाहीं जाला.

अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.

(इसी भीड़ में गाँव की दो लड़कियां, शादी वादी हो जाती है, बाल बच्चेदार हो जाती हैं, लगभग दस बारह बरसों के बाद मिलती हैं. वो आपस में क्या बतियाती हैं …)

एही में चम्पा-चमेली भेंटइली.
बचपन के दुनो सहेली भेंटइली.
ई आपन सुनावें, ऊ आपन सुनावें,
दुनो आपन गहना-गजेला गिनावें.

असो का बनवलू, असो का गढ़वलू
तू जीजा क फोटो ना अबतक पठवलू.
ना ई उन्हें रोकैं ना ऊ इन्हैं टोकैं,
दुनो अपना दुलहा के तारीफ झोंकैं.

हमैं अपना सासु के पुतरी तूं जानऽ
हमैं ससुरजी के पगड़ी तूं जानऽ.
शहरियो में पक्की देहतियो में पक्की
चलत हउवे टेम्पू, चलत हउवे चक्की.

मने मन जरै आ गड़ै लगली दुन्नो
भया तू तू मैं मैं, लड़ै लगली दुन्नो.
साधु छुड़ावैं सिपाही छुड़ावैं
हलवाई जइसे कड़ाही छुड़ावै.

अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.

(कभी-कभी बड़ी-बड़ी दुर्घटनायें हो जाती हैं. दो तीन घटनाओं में मैं खुद शामिल रहा, चाहे वो हरिद्वार का कुंभ हो, चाहे वो नासिक का कुंभ रहा हो. सन ५४ के कुंभ में इलाहाबाद में ही कई हजार लोग मरे. मैंने कई छोटी-छोटी घटनाओं को पकड़ा. जहाँ जिन्दगी है, मौत नहीं है. हँसी है दुख नहीं है….)

करौता के माई के झोरा हेराइल
बुद्धू के बड़का कटोरा हेराइल.
टिकुलिया के माई टिकुलिया के जोहै
बिजुरिया के माई बिजुरिया के जोहै.

मचल हउवै हल्ला त सगरो ढुढ़ाई
चबैला के बाबू चबैला के माई.
गुलबिया सभत्तर निहारत चलेले
मुरहुआ मुरहुआ पुकारत चलेले.

छोटकी बिटउआ के मारत चलेले
बिटिइउवे प गुस्सा उतारत चलेले.

गोबरधन के सरहज किनारे भेंटइली.

(बड़े मीठे रिश्ते मिलते हैं.)
गोबरधन के सरहज किनारे भेंटइली.
गोबरधन का संगे पँउड़ के नहइली.
घरे चलतऽ पाहुन दही गुड़ खिआइब.
भतीजा भयल हौ भतीजा देखाइब.

उहैं फेंक गठरी, परइले गोबरधन,
ना फिर फिर देखइले धरइले गोबरधन.

अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.

(अन्तिम पंक्तियाँ हैं. परिवार का मुखिया पूरे परिवार को कइसे लेकर के आता है यह दर्द वही जानता है. जाड़े के दिन होते हैं. आलू बेच कर आया है कि गुड़ बेच कर है. धान बेच कर आया है, कि कर्ज लेकर आया है. मेला से वापस आया है. सब लोग नहा कर के अपनी जरुरत की चीजें खरीद कर चलते चले आ रहे हैं. साथ रहते हुये भी मुखिया अकेला दिखाई दे रहा है….)

केहू शाल, स्वेटर, दुशाला मोलावे
केहू बस अटैची के ताला मोलावे
केहू चायदानी मोलावे
सुखौरा के केहू मसाला मोलावे.

नुमाइश में जा के बदल गइली भउजी
भईया से आगे निकल गइली भउजी
आयल हिंडोला मचल गइली भउजी
देखते डरामा उछल गइली भउजी.

भईया बेचारु जोड़त हउवें खरचा,
भुलइले ना भूले पकौड़ी के मरीचा.
बिहाने कचहरी कचहरी के चिंता
बहिनिया के गौना मशहरी के चिंता 


फटल हउवे कुरता टुटल हउवे जूता 
खलीका में खाली किराया के बूता 
तबो पीछे पीछे चालत जात हउवें 
गदोरी मा सुरती मलत जात हउवें 
अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.यही हउवे भैया अमौसा के मेला-(कैलाश गौतम )

 


Sunday, February 2, 2014

जय हो -

इस बार आपके सांसद महोदय जब आपके गाँव / मोहल्ले में आएं तो उनसे विनम्रता -पूर्वक एक सवाल पूछिए कि महोदय आपको जो सांसद निधि में 5 करोड़ रूपये हर साल मिलते हैं उसमें से कितना रुपया आपने हमारे गाँव / मोहल्ले  के लिए खर्च किया ? अपने विधायक जी (UP ,UK में ) से भी उनको हर साल  मिलने वाले ढ़ाई करोड़ के बारे में प्रश्न पूछिए। इस निधि की अठन्नी -चवन्नी से आपके एरिया की नाली और सड़क तो सुधर ही सकती थी। -(सत्यमेव जयते )

Wednesday, January 29, 2014

बजाओ पुंगी -

आजादी के कुछ वर्षों बाद एक ऐसा वाक्या हुआ जो हम सबके लिए विशेषकर उत्तर भारत राज्यों के लिए एक नसीहत हो सकती है -
तत्कालीन बॉम्बे में क्षेत्र- वादियों / कट्टरपंथियों ने साउथ इंडियन मजदूरों के खिलाफ एक नारा दिया -
"बजाओ पुंगी 
भगाओ लुंगी"
उसके बाद साउथ इंडियन मजदूरों पर हमले होने लगे और उन्हें बॉम्बे छोड़कर भागना पड़ा। इस अपमान के बाद उन्होंने बॉम्बे जाना छोड़ दिया और तमिलनाडु को इंडस्ट्रियल हब बना दिया विशेषकर मद्रास को।
आज भी हमारे बीमारू *(bihar ,मप्र ,Rajasthan ,UP ) राज्य के लोग ट्रेनों में भेड़ ,बकरियों की तरह भरकर रोजगार तलाशने गुजरात ,मुम्बई जाते हैं।  काश हम भी उस घटना से कुछ सीख पाते  ,अपने को औद्योगिक रूप से मजबूत कर पाते -जिसका उदाहरण साउथ इंडियन नेतृत्व ने बहुत पहले दे दिया था : -(सत्यमेव जयते )

Wednesday, January 22, 2014

Our Agenda for our nation-

Dear PM candidates-
"WE THE PEOPLE OF INDIA" have following agenda for our nation in this election- 

(We do not need SAREE and other type of JHUNJHUNA)

1-we need 4/6 lane roads from each distt. to state capital.
2-we need 24 hour electricity round the clock.
3-we need drinking water tank in all villages / mohalla.
4-we need hi-tech hospital in every 5 KM periphery
5-we need Govt.Public school in all village /town .U may convert existing schools into public school having hi-tech facilities.
6-we need public transport of high quality which can provide seats on demand.
7-we need double track,electrified railway and bullet train up-to border of India as China did already.
8-From childhood we read that we r burden on Nation as we r part of population can u convert us into human resource so we can contribute for nation.
9-we need online complaint disposal system because we do not have too much money to visit offices.
10-We need mobile Tehseel system.
11-we need quality employment as per our ability in our block/distt.
12-we need hot mix road from our village to block/tehseel.
13-we need irrigation water to our agricultural land as all channels and canals r worst in condition.
14-we need Right to service and Lokpal as well as CCTV in all govt. offices.
15-we need Right to Reject option in EVM.
16-we need our Land back which was encroached by China and Pakistan.
17-We need permanent seat in UN security council.
18-we need air services which a labour of our nation can afford.
19-we need online FIR and its timely disposal.
20-We need PDS and fuel subsidy directly in account.
21-we need less Laws and acts but effective enforcement.
22-we need more scientific ,industrial and IT development as well as primary sector like agri-development on priority .
23-we need corruption free;terror free and Gunda free nation.
24-we need upliftment of all section of society.
25-In toto we need a Nation Top of the world.
Can U do it. If yes U r most welcome.
*** Itna fwd/share karo k har PM candidate tak pahunche. ( Satyamev jayate)

Wednesday, January 15, 2014

Q to CM of UP -

उत्तर प्रदेश के मुख्य -मंत्री से कुछ सवाल  -

आदरणीय हमने आपको चुना है ,-

१-क्या हमें ऐसी सड़क मिल सकती है जहाँ गड्ढे न हों ,जाम न हो, आने-जाने के लिए अलग-अलग 2/4 लेन हों। क्या आप हर जिले को इस तरह की सड़क से लखनऊ तक जोड़ सकते हैं?

२-हमारे गाँव से ब्लाक और तहसील जाने वाली सड़क को बेहतर (हॉट मिक्स ) बना सकते हैं?

३-हमारे गाँव की सिंचाई नालियाँ कई सालों से टूटी हैं ,नहरें टूटी हैं ,नलकूप ख़राब हैं क्या उन्हें ठीक किया जा सकता है ?

४-हमारी बस्ती/ हमारे गाँव में बिजली 8 घंटे आती है वो भी तब जब हम सो जाते हैं क्या हमारे पढ़ने के लिए ६ बजे शाम से बिजली मिल सकती है?

५-क्या हमें अपने प्रदेश में रोजगार मिल सकता है जिस-से हमें गुजरात , मुम्बई ,पंजाब जाकर काम न ढूंढना पड़े क्या आप कुछ उद्योग प्रदेश में ला सकते हैं?

६-हमारे किसानों की खातिर कृषि उपज आधारित उद्योग लगा सकते हैं जैसे प्रतापगढ़ में आंवला प्रसंस्करण उद्योग ,फरुखाबाद में आलू प्रसंस्करण (Chips) उद्योग ?

७-क्या हमारी बहन बेटियों बुजुर्गों और हमें गुंडों से बचा सकते हैं तथा प्रदेश को भ्रस्टाचार मुक्त बना सकते हैं ? ?

८-क्या प्रदेश के प्रत्येक गाँव /मोहल्ले तक शुध्द पीने का पानी पहुंचा सकते हैं और प्रति पाँच किलोमीटर की दूरी पर हाई - टेक अस्पताल खुलवा सकते हैं?

९ -क्या हमारे गाँव में एक बोर्ड लग सकता है जहाँ सभी सरकारी कर्मचारियों जैसे लाइन मैन वगैरह के फोन नंबर लिखे हों ?

१०-क्या हम विकसित प्रदेश हो सकते हैं ?

आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि आप ऑस्ट्रेलिया से पढ़े -लिखे एक युवा मुख्य -मंत्री हैं।

(इतना फारवर्ड/share करो कि आपके मुख्य -मंत्री तक पहुँचे )










































































































































































































































Saturday, January 11, 2014

रुकना मना है-

इस दुनिया में रुकना मना है
    कहीं झुक के निकल जाओ
           कहीं रुक के निकल जाओ-ललित