Friday, August 31, 2012

A SMS-

Boss is always right but always subordinates are also not wrong .-satyamev jayate

sms ऑफ़ द वीक -

रंजिश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

जैसे तुझे आते हैं ' न आने' के बहाने
वैसे ही किसी रोज़ 'न जाने' के लिए आ- (फरहाज़ अहमद फरहाज़ ) 

जैसा मनीष तिवारी ने sms से भेजा .

Tuesday, August 21, 2012

मंहगाई का अर्थशास्त्र-

मंहगाई से आम आदमी त्रस्त है हुक्मरानों  को लगता है कि जो उपभोक्ता भुगतान कर रहा है वह किसानों को मिल रहा है इसलिए किसान को फायदा हो रहा होगा . किन्तु हालात उल्टे  हैं किसान आत्महत्या कर रहे हैं खेती घाटे का सौदा बनती  जा रही है .दरअसल मंहगाई का फायदा दलाल ,ट्रांसपोर्टर एवं बड़े आढ़तिए उठा रहे हैं जो किसान से कम दर पर माल खरीद कर,स्टोरेज कर  ऊँचे दामों पर बेचते हैं ,आंकड़ों की बात करें तो किसान 10-15 रूपये  र्किलो चावल बेचता है और हम 30-35 रूपये में खरीदते  हैं बीच का पैसा किसके पास गया ? इसी तरह टमाटर 3-5 रूपये किलो में किसान के पास से चलता है और 35 रूपये किलो में बिकता है बीच का पैसा कहाँ गया? .शंका हो तो सरकारी मंडी  के रेट देखिये और जिस रेट पर आप सब्जी,आटा ,दाल चावल खरीद रहे हो उस से तुलना करिए .ये है मंहगाई का अर्थशास्त्र .समझ में आया हो तो समझ लेना और हुक्मरानों को भी समझा देना . मजेदार तथ्य यह है कि इस से निपटने का कोई ख़ास कानून भी मौजूद  नहीं है .-सत्यमेव जयते 

Thursday, August 16, 2012

जरूरी तो नहीं -

गिला शिकवा  भी न हो  यार  जरूरी तो नहीं
कभी तुझसे न हो तकरार जरूरी तो नहीं

बेचैन लम्हा, उदास वक़्त व् चेहरे की शिकन
जिन्दगी भर यही त्यौहार  जरूरी तो नहीं

मायने की तलाश और तलाश के मानी
कदम-दर-कदम  इंतजार  जरूरी तो नहीं

तुम्ही थोडा चले आते जरा सी ही तो जहमत थी
 हमी  हरदम रहें लाचार जरूरी तो नहीं

तेरी चौखट पे माथा, मन्नतें ,धागे औ जियारत 
बुढ़ापे में ही हो एतबार  जरूरी तो नहीं

बहुत बहका रहा बातों  में तेरी सब्र करो -सब्र करो
बहला फुसला लोगे हर बार जरूरी तो नहीं

नुख्श हर बार मेरा ये है तसल्ली का सबब
हर बार मैं  ही गुनहगार जरूरी तो नहीं - "ललित"

मुकम्मल जहाँ की तलाश-


अधूरेपन का मसला जिन्दगी भर हल नहीं होता
कहीं आँखें नहीं होतीं कहीं काजल नहीं होता

कहानी कोई भी अपनी भला पूरी करे कैसे
किसी का आज खोया है किसी का कल नहीं होता

अज़ब सी बात है अस्सी बरस की जिन्दगी में भी
 जिसे जिस पल की चाहत है वही एक पल नहीं होता

सभी से तुम लगा लेते हो उम्मीदे वफ़ा लेकिन
लिए पैगाम सावन का हर -एक बादल  नहीं होता -

-(जैसा अरविन्द पाण्डेय उप -जिलाधिकारी हरिद्वार ने sms से  भेजा )

Thursday, August 9, 2012

मेरे सीनियर दीनानाथ द्विवेदी "रंग "(ETO) की एक रचना -

हमें लिख कर किसी लम्हा  कहीं महफूज कर लेना
तुम्हारी याद से देखो निकलते जा रहे हैं हम . -

(अगर पसंद आये तो उन्हें फ़ोन जरूर करें 09935094830)

Tuesday, August 7, 2012

SMS of the week-


Half of sorrows we earn by expecting good things from wrong people and
the other half we earn by searching wrong things in good people. -Satyamev jayate