Sunday, May 20, 2012

जीना यहाँ -मरना यहाँ ,इसके सिवा जाना कहाँ ?-

     मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है . समाज को सामाजिक संबंधों  का जाल कहा गया है .इन्ही सामाजिक संबंधों की वजह से प्यार है -तकरार है ,नफरत है -शोहरत है , भीड़ है -तन्हाई है ,खुशी है -गम है , सत्कार है -तिरस्कार है ,धर्म है -अधर्म है , मकान  है -दुकान है ,सफलता है -विफलता है वगैरह -वगैरह.....दुनिया के हर कोने में इसकी मौजूदगी है . समाज चैन देता है तो समाज बेचैन भी करता है ,समाज लुभाता भी है समाज डराता भी है . कुल मिलाकर  समाज की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यह  है कि "समाज जीने भी नहीं देता और समाज के बिना जिया भी नहीं जाता "  .-सत्यमेव जयते

Friday, May 11, 2012

जमूरे-

बहता जिधर प्रवाह जमूरे /
पकड़ उधर की राह जमूरे /
क्रन्दन आंसू सुबकन नकली ,
क्या एक्टिंग है ,वाह जमूरे /
सुबह गालियाँ ,शाम प्रशंसा ,
गिरगिट रहा सराह जमूरे /
बाहर बाहर शीतलता है ,
अन्दर अन्दर दाह जमूरे /
बीबी बच्चे कलह मचाते
और रचा ले ब्याह जमूरे /
इक दुखिया ने देह बेच दी ,
सीता उठी कराह जमूरे

Friday, May 4, 2012

unchai -

जो बहुत ऊंचाई पर होते हैं प्रायः वो उतना ही  ऊँचा सुनते हैं -. सत्यमेव जयते