जीना यहाँ -मरना यहाँ ,इसके सिवा जाना कहाँ ?-
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है . समाज को सामाजिक संबंधों
का जाल कहा गया है .इन्ही सामाजिक संबंधों की वजह से प्यार है -तकरार है
,नफरत है -शोहरत है , भीड़ है -तन्हाई है ,खुशी है -गम है , सत्कार है
-तिरस्कार है ,धर्म है -अधर्म है , मकान है -दुकान है ,सफलता है -विफलता है वगैरह
-वगैरह.....दुनिया के हर कोने में इसकी मौजूदगी है . समाज चैन देता है तो
समाज बेचैन भी करता है ,समाज लुभाता भी है समाज डराता भी है . कुल मिलाकर
समाज की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यह है कि "समाज जीने भी नहीं देता और समाज के बिना जिया भी नहीं जाता " .-सत्यमेव जयते
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