Sunday, May 20, 2012

जीना यहाँ -मरना यहाँ ,इसके सिवा जाना कहाँ ?-

     मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है . समाज को सामाजिक संबंधों  का जाल कहा गया है .इन्ही सामाजिक संबंधों की वजह से प्यार है -तकरार है ,नफरत है -शोहरत है , भीड़ है -तन्हाई है ,खुशी है -गम है , सत्कार है -तिरस्कार है ,धर्म है -अधर्म है , मकान  है -दुकान है ,सफलता है -विफलता है वगैरह -वगैरह.....दुनिया के हर कोने में इसकी मौजूदगी है . समाज चैन देता है तो समाज बेचैन भी करता है ,समाज लुभाता भी है समाज डराता भी है . कुल मिलाकर  समाज की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यह  है कि "समाज जीने भी नहीं देता और समाज के बिना जिया भी नहीं जाता "  .-सत्यमेव जयते

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