Saturday, June 16, 2012

लाख टके का सवाल -

एक लाख की नैनो कार तो आ गयी एक लाख वाला ट्रक्टर कब आएगा ? पॉवर टिलर नहीं एक लाख के ट्रक्टर का सवाल है ! क्या किसान टाटा की नज़र में ज्यादा अमीर है ?-सत्यमेव जयते 

Tuesday, June 12, 2012

सरकारी ऑफिस-

एक फटी सी फोटो -बापू की,
 और सरकारी ऑफिस
जहाँ लिखा था
रिश्वत लेना और देना जुर्म है !-ललित

Saturday, June 9, 2012

सब कुछ जान जाते हैं .-

हम किस से क्या छुपायें लोग सब कुछ जान जाते हैं .
ये परदे खिड़कियों की बात अक्सर मान जाते हैं

हवाएं, रौशनी, खुशियाँ, जरूरत ,हर परेशानी
कमीने आईने दीवार के पहचान जाते हैं

मैं अपने आप से यूँ ही कभी नाराज़ होता हूँ
सयाने दोस्त चेहरे की हकीकत जान  जाते हैं

बड़ी हैं मुश्किलें क्या-क्या छुपाओगे घरौंदे में
इन्ही दालान चौखट से सभी मेहमान जाते हैं .-ललित 

Corruptions in private sectors-

-(few examples) (exceptions are everywhere but all are not in exceptions) series one- Education field- 1-Tuition practices -those who will not join tuition class will suffer ,writing answers during checking of answer sheets (attached with money),capitation fee,Loot fee for numbers in practical (In B.Ed etc.)So many types of fees -like dress fee ,book fee ,Cultural programme fee,annual fee etc...etc 2-Medical Field- (exceptions are everywhere but all are not in exceptions) Medicines guided by MR- MR provides A/C ,Cars etc to Doctors So many tests in medical lab-They (Doctors)get Commissions from these labs. for simple disease like fever,cold etc.You will be admitted in ICU and once admitted you will not be easily discharged from there until you have money in your pocket. (exceptions are everywhere but all are not in exceptions) Rest will be later....

Friday, June 8, 2012

भ्रष्टाचार के प्राइवेट नमूने -
(सीरीज-2)
NGO-(अपवाद हर जगह हैं लेकिन सभी अपवाद नहीं हैं )
गैर सरकारी संगठन जो देश की निष्काम सेवा का दंभ भरते हैं उनमें से कुछ ही धरातल  पर नज़र आते हैं  बाकी कागजों पर चलते हैं और देश-विदेश से प्राप्त अनुदान हज़म करते रहते हैं . लखनऊ -दिल्ली -मुंबई  जैसे किसी एक महानगर की अगर बात की जाय तो हजारों NGO रजिस्टर्ड हैं जिनके बायलाज में सेवा का दावा तो सम्पूर्ण भारत के लिए है लेकिन इनकी सीमा इनके फर्जी कार्यालयों तक ही सीमित है .बहुत से NGO में काम करने वाले नौजवान मनरेगा से भी कम मजदूरी/वेतन  पाते हैं जबकि मालिक अपने  कुत्तों के साथ देश-विदेश की हवाई यात्राएं करते रहते हैं  .जितने NGO / ट्रस्ट हिंदुस्तान में हैं अगर एक-एक गाँव गोद लेते तो इस देश की तस्वीर ही कुछ और होती .(अपवाद हर जगह हैं लेकिन सभी अपवाद नहीं हैं )