Tuesday, September 22, 2015

ये बंधन तो -



वैसे तो सरकारी महकमे को आम जनता दूर से ही राम राम करती है।  लेकिन कभी कभी जाने अनजाने सरकारी 
मुलाजिमों से जनता के ऐसे रिश्ते बन जाते हैं जिसको परिभाषा में नहीं बांधा  जा सकता।  ऐसा ही एक वाकया 
सिद्धार्थनगर उ०  प्र ० में पेश आया जहाँ सूखे से परेशान लोगों ने स्थानीय थानेदार को प्यार से नहला दिया 

मान्यता ये थी कि ऐसा करने से बारिश हो जाएगी।  ये परंपरा कब शुरू हुई होगी यह कहना मुश्किल है किन्तु 

प्रेम के इन रिश्तों में प्रोटोकॉल को भूल जाना ही बेहतर होता है।  ऐसी ही एक परंपरा उत्तराखंड के पिथौरागढ़

जनपद की धारचूला तहसील में विद्यमान है जहाँ शिवरात्रि के समय स्थानीय SDM  (उप जिला मजिस्ट्रेट )
 को भोटिया समुदाय की  रंग संस्था द्वारा दामाद जैसा सम्मान दिया जाता है और गुलाबी पगड़ी पहना कर अच्छे अच्छे व्यंजन खिला कर बहुत ही आदर और सम्मान दिया जाता है।  प्रेम के इन रिश्तों में डूब कर 
आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले मप्र के डॉ बी डी शर्मा (आईएएस ) एक अनुकरणीय उदाहरण रहे हैं।  बारिश हो या न हो लेकिन जनता और सरकारी महकमें की दूरी जितनी घटती जाएगी उतना ही ये प्रेम का बंधन लोकतंत्र के लिएशुभ सन्देश बनेगा- बहाना कोई भी हो।