Tuesday, July 14, 2015

PDS-

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS ) अर्थात राशन , मिट्टी का तेल बाँटने की योजना में आमूलचूल परिवर्तन किये बिना इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकना लगभग असंभव सा है।  इस प्रणाली में इतने छेद हो चुके हैं कि इसे छलनी कहा जा सकता है जहाँ एक लीकेज रोकेंगे ,तो दूसरा, दूसरा रोकेंगे तो तीसरा और चौथा चालू हो जाता है.शहर की अधिकतर मंडियों के आढ़त बाजार इन्हीं राशन से संचालित हैं जो कम  पैसे में ब्लैक से राशन खरीद कर (२ रुपये ३ रूपये )10 गुना अधिक दाम पर आम आदमी को बेच देते हैं।  अनाज को टांस्पोर्ट करने में भी बहुत ज्यादा खर्च आता है।  बेहतर तो यही होगा की इस पूरे सिस्टम को बैंक मोड में ले लिया जाय अर्थात राशन के बजाय पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते  में भेज दिया जाय.-(सत्यमेव जयते )