हिंदुस्तान के गांव और किसान जिस दिन मजबूत हो जायेंगे देश अपने आप मजबूत हो जायेगा ।आज भी गांव में किसानों को अपने उत्पादों को स्थानीय व्यापारी को औने पौने दामों में बेचना पड़ता है वहीं शहर में रहने वालों को आढ़तिया या दुकानदार उसी सामान को कई गुना दामों में बेचता है इस किसान और उपभोक्ता के बीच में फायदा उठाने वाले दलालों की चांदी है वही चावल जो किसान 15-17 रुपये में बेचता है वो उपभोक्ता 35 -75 रूपये में खरीदता है सरसों का तेल किसान के घर से 35-40 रूपये में चलकर आपके यहाँ 100 रूपये में पहुँचता है वो भी मिलावट के साथ । यही हाल सब्जियों का है 3 रूपये किलो खीरा 30 में और 6 रूपये किलो भिन्डी 60 रूपये में बिक जाती है आज के ज़माने में जब बहुत कुछ ऑनलाइन है तो क्या किसान और उपभोक्ता सीधे एक दुसरे से नहीं जुड़ सकते? किसानों से यदि उपभोक्ता विशेषकर शहरी समाज सीधे जुड़ जाय तो दलाल अर्थव्यवस्था तो ख़त्म होगी ही किसान और गांव मजबूत होंगे साथ ही उपभोक्ता को भी बहुत राहत होगी। एक उपभोक्ता एक किसान को तो अपना ही सकता है ।शुरू करिये किसी नजदीक के गांव से ।
आदरणीय महोदय,
ReplyDeleteबहुत बड़ा नेटवर्क है दलालों का, शायद ही कभी समाप्त हो ।जहाँ तक सीधे किसान-उपभोक्ता के सीधे जुड़ाव की बात है तो आज के इस भागम भाग माहौल में यह थोड़ा दुरूह सा लगता है। फिर भी मैं स्वयं पहल करते हुए साथियों को जोड़ने का प्रयास करूंगा।
आदरणीय महोदय,
ReplyDeleteबहुत बड़ा नेटवर्क है दलालों का, शायद ही कभी समाप्त हो ।जहाँ तक सीधे किसान-उपभोक्ता के सीधे जुड़ाव की बात है तो आज के इस भागम भाग माहौल में यह थोड़ा दुरूह सा लगता है। फिर भी मैं स्वयं पहल करते हुए साथियों को जोड़ने का प्रयास करूंगा।