दुनिया की सबसे पहली प्रयोगशालाएं रसोईघर मानी गई हैं जहाँ मानव की अमरता के लिए नए नए प्रयोग हुए और नए नए सिद्धांत बने। इन्ही प्रयोगों में एक खोज नमक की भी हुई। शरीर को अपना द्रव संतुलन बनाए रखने के लिए नमक जरूरी था इसलिए रोज़मर्रा के भोजन में नमक का समावेश किया गया। नमक का सीधा असर तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम), किडनी और हार्ट व् अन्य सभी कोशिकाओं पर होता है। शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बनाए रखने के लिए धन और ऋण आयन का संतुलन जरूरी है । बताते चलें कि शरीर का लगभग 60 % भाग पानी है जो कोशिका ,खून और कोशिका के बाहर मौजूद रहता है कोशिका के अंदर पोटैशियम और फॉस्फेट ज्यादा होता है और कोशिका के बाहर सोडियम और क्लोराइड ज्यादा होता है इन दोनों का संतुलन यानि कोशिका के अंदर और बाहर एक निर्धारित अनुपात में बना रहता है। आपने यह तो जरूर सुना होगा कि ज्यादा नमक खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है क्योंकि नमक जो केवल सोडियम और क्लोराइड से बना है वह उत्तकों के अंदर से पानी खींच लेता है और किडनी में बनने वाली पेशाब से पानी वापस खून में मिला देता है जिससे खून में पानी बढ़ जाने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। प्रश्न ये है कि नमक तो हम सदियों से खाते आ रहे हैं ये नमक से समस्या पहले इतनी ज्यादा नहीं थी तो अचानक कैसे बढ़ गई ? इसका उत्तर जानने के लिए थोड़ा इतिहास में चलते हैं संसार में एक समय ऐसा भी था जब नमक सोने से भी ज्यादा मंहगा था लोग चट्टान के नमक जैसे सेंधा या काला नमक प्रयोग करते थे। धीरे धीरे समुद्र से नमक बनाने की खोज हुई और नमक की उपलब्धता बढ़ गई बात यहाँ तक तो ठीक थी लेकिन धीरे धीरे नमक को रिफाइन किया जाने लगा रिफाइन करने के दौरान समुद्री नमक में पाये जाने वाले लगभग 92 मिनरल को हटा कर 4 तक सीमित कर दिया गया जिसमे 98% सोडियम और क्लोराइड था इस नमक को सीलन से बचाने के लिए एल्युमीनियम सिलिकेट जैसे तत्व मिलाये गए जिनसे अल्जीमर रोग होता है। आयोडीन का डर दिखा कर व्यापारिक कंपनियों ने भारत में इसे खूब बेचा और रसोई में इस नमक का कब्ज़ा हो गया जबकि आयोडीन कई स्रोतों से मिल रहा था । रिफाइन करने के दौरान जो मिनरल निकाले गए उन्हें इन कंपनियों ने मिनरल कैप्सूल बना कर बेचना शुरू कर दिया अब जब भी मिनरल डेफिशियेंसी होती है तो डॉक्टर की सलाह पर आपको वो मल्टी विटामिन कैप्सूल नाम से खाना पड़ता है जो मुफ्त में समुद्री नमक आपको देता था यानि नमक भी बेच दिया और उसका मिनरल भी . देखा कमाल "आम के आम गुठलियों के दाम" । अब आप काफी कुछ समझ गए होंगे कि गलती कहाँ हुई और रोग कैसे बढे। जो नमक समुद्र से मिलता था (क्रिस्र्टल वाला/डली वाला )उसमे 86-92 तत्व पाये जाते थे जिसमे पोटैशियम सल्फर सोडियम आदि सब मिनरल था और एक दुसरे को संतुलित भी करता था इसलिए बीमारियां कम थी खास तौर पे ह्रदय संबंधी बीमारियां। जबसे रिफाइंड नमक ने रसोई में कब्ज़ा जमाया है गड़बड़ी वहीं से शुरू हो गई। प्रयोगों से ये साबित हुआ है कि रिफाइंड नमक शरीर के सामान्य pH 7.2 को घटा देता है और शरीर का pH अम्लीय बना देता है जो शरीर के लिए ज्यादा हानिकारक होता है।जबकि मूल समुद्री नमक या सेंधा /काला नमक से ऐसा नहीं होता वरन pH संतुलित रहता है। अब तो पूरा मसला समझ मे आ गया होगा इन नमक कंपनियों के खेल को आप समझ गए होंगे। तो एक बार फिर से रसोई में जाइये और सोचिये कौन सा नमक आप प्रयोग करेंगे ? हाँ नमक की ज्यादा मात्रा से जरूर बचें चाहे वो जो भी नमक हो।-Dr.Lalit Narayan Mishra
(सहयोग डॉ RK पाण्डेय 9760534523 डॉ अमित शुक्ल 9412957166 )
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