Monday, November 14, 2016

#Currencyfree Living

 (ललित)
हिंदुस्तान में विमुद्रीकरण की बहस के बीच एक और चर्चा जो हो जानी चाहिये वो ये है कि जो अविष्कार मानव का है यानि मुद्रा क्या मानव उसके बिना नही जी सकता । सृष्टि में बहुत से जीव जन्तु हैं वो भी अपनी पूरी जिन्दगी बिना रूपये पैसों के ,तनाव रहित जीते हैं आप कहेंगे उनको रहने के लिए घर नही बनाना होता पर चिड़िया घोसला बनाती है ।आप कहेंगे उन्हें खाना इकट्ठा नही करना पड़ता पर चींटियां सन्ग्रह करती हैं । कहने का मतलब ये नहीं कि आदिम युग में लौट चला जाय लेकिन मानव का अविष्कार मानव को मजबूर कर दे उसके पहले विकल्प तलाश लिया जाय तो बेहतर । मेरा बचपन अपने गाँव में गुजरा मुझे याद है कि पैसा चिंता का विषय नही होता था जेब में एक रूपये भी न हो तो भी कोई परवाह नही होती थी। सब आत्मनिर्भर थे रोटी कपड़ा और मकान तीनों मूलभूत जरूरतें एक ही जगह या आसपास से पूरी हो जाती थीं।
शहर में एक दिन भी बिना पैसों के जीना मुश्किल था कही जाना हो तो पैसा खाना हो तो पैसा कुछ चाहिये तो पैसा । कभी कभी पैदल चल के पैसा बचा लिया तो भविष्य सुरक्षित होने की ख़ुशी रहती थी लेकिन ये पैदल से बचाया हुआ पैसा किसी न किसी टैक्स या सेवा जैसे गृह कर ,पथ कर आदि के हवाले चढ़ जाता था जिससे गांव में हम मुक्त थे वहाँ हवा पानी सड़क सब मुफ्त था ।
अब मूल प्रश्न पे आते हैं कि क्या जीवन बिना पैसों के चल सकता है  तो उत्तर हाँ में है ।पैसा हमने बनाया न कि पैसे ने हमे । प्रकृति ने हमे बनाया तो जीवन जीने के लिए पर्याप्त उपाय भी किये । भारत में सन्त परम्परा से प्रेरणा ले कर पश्चिम के देशों में moneyless society आंदोलन चल रहा है । Live with 100 things आंदोलन वाले गैर जरूरी चीजों को अपने घर से हटा रहे हैं और केवल 100 आवश्यक वस्तुओं के साथ जीवन यापन कर रहे हैं राम और गाँधी का दर्शन फिर लोग अपना रहे हैं गाँव और सरल जीवन वालों के लिए ये प्रयोग आसान होगा किन्तु शहर के लिए यह प्रयोग एक मुश्किल ।यदि टैक्स फ्री या minimum tax सोसाइटी की अवधारणा सम्भव हो सके तो हर समाज इस राह पे चिंता मुक्त जीवन यापन कर सकता है ।काम कठिन तो है पर असंभव नही चुनाव हमारा और आपका है कि पैसा हम पर हावी होगा या हम उसे अपने ऊपर हावी नही होने देंगे। (ललित)

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