Friday, September 9, 2011

कवि मनोज की कलम से

मुसीबत में भी जीने का बहाना ढूंढ लेते हैं
कड़कती बिजलियों में आशियाना ढूंढ लेते हैं
तजुर्बा जिन्दगी का सीखना है उन परिंदों से
जो कूड़े में पड़ा गेहूं का दाना ढूंढ लेते हैं । -कुमार मनोज 9410058570

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