Friday, May 13, 2016

रहिमन पानी राखिये -


पृथ्वी पर सबसे पहले जीव की उत्पत्ति जल में हुई।  धीरे धीरे जीवों का विस्तार जमीन पर होता गया लेकिन जो जीव पानी के बाहर रहने में सक्षम हुए उनके लिए भी पानी उतना ही महत्वपूर्ण था क्योंकि शरीर के अंदर की सारी रासायनिक क्रियाओं के लिए मूल माध्यम पानी था। मानव शरीर का लगभग 60 % पानी है जो तापमान नियंत्रण के साथ साथ उत्तकों की रक्षा  करता है और रासायनिक क्रियाओं को संचालित कराता है।पानी  की महिमा हर युग और संस्कृति में पहचानी गई।रहीमदास जी ने यहाँ तक कहा कि "रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून " . आधुनिक युग में पानी बाजार तक आ पहुंचा और बाजार की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भाग पानी के इर्द गिर्द घूमने लगा। इस बाजार के पानी ने मिनरल वाटर और RO  प्यूरीफायर को बहुत तेज़ी से घरों तक पहुंचा दिया जो पानी धरती हमें मुफ्त में देती थी उस के प्रति भय  उत्पन्न कर अरबों का कारोबार चल निकला। बात यही समाप्त नहीं हुई इस बाज़ारू  पानी की महिमा का बखान करने के लिए कई तर्क दिए गए कि इस पानी से बीमारी नहीं होगी इसमें से हानिकारक तत्व और सूक्ष्म जीव हटा दिए गए हैं आदि -आदि. कहा तो  यह भी गया कि शरीर इनऑर्गेनिक मिनरल नहीं ले सकता अतः  RO  प्यूरीफायर  वरदान है। आइये कुछ तथ्यों पर नज़र डालते हैं  RO  प्यूरीफायर  पानी में पाये जाने वाले सभी solutes  को 85 -95 % तक हटा देता है जिससे पानी का मूल गुण बदल जाता है सामान्य भाषा में जो पानी  जिन्दा था वो लगभग लगभग मृत हो जाता है। इसके अतिरिक्त 1 लीटर पानी निकालने में ये लगभग 3-4 लीटर पानी बर्बाद करता है।  बहुत से विकसित देशों में इस तकनीक को प्रतिबंधित किया जा चुका  है लेकिन ये एक दुर्भाग्य है कि जो तकनीक विकसित देशों में बैन कर दी जाती है वह प्रयोग और मुनाफे के लिए विकासशील देशों में उतार दी जाती है सदियों से गरीब देशों की यही नियति है ये देश अमीरों की प्रयोगशालाएं बन कर रह गए हैं।  विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट  ये साबित करती  है कि शरीर 6-30 % मिनरल टैप वाटर से लेता है.  चेक और स्लोवाक देश में  RO  प्यूरीफायर  के प्रयोग के बाद ह्रदय रोग ,थकान, कमजोरी के रोगी बढ़ गए थे . RO  प्यूरीफायर  से निकला पानी शरीर के मिनरल को वापस  खींचता है ओसमोसिस के नियम के तहत मिनरल पानी में ज्यादा घनत्व से कम घनत्व की ओर चलता है और RO  वाटर में मिनरल शरीर से कम होता है इस प्रकार कोशिका का आयन और मिनरल संतुलन बिगड़ जाता है जो भविष्य में कई बीमारियों को जन्म देता है जैसे दिमाग और दिल की बीमारी के साथ साथ थकान ,अनिद्रा ,सरदर्द ,ऑस्टियोपोरोसिस आदि -आदि। यही हाल मिनरल वाटर का है जिस प्लास्टिक की बोतल में उसे पैक किया जाता है उसमे से BPA यानी बिस्फेनोल ए होता है जो लीच कर पानी में मिल जाता है  BPA से जनन हॉर्मोन में असंतुलन होता है और प्रतिरोधक  क्षमता में गिरावट के साथ साथ डायबिटीज़ मोटापा और कई तरह के कैंसर भी होते हैं।  कई जागरूक देशों ने कचरा फ़ैलाने वाले मिनरल वाटर को बैन  कर दिया है। बताते चलें कि मिनरल वाटर की बोतल प्लास्टिक क्वालिटी के आधार पर 10 रूपये से लेकर 900 रूपये तक बिकती है जिसमे 10-15  रूपये के ग्राहक हम आप लोग हैं।  अब आप समझ गए होंगे कि पानी के बाजार ने आपको किस तरह  बीमारी के बाजार में उतार दिया है।  अभी भी वक्त है सम्भलने का।  वैसे हिंदुस्तान का बहुत सा पानी प्राकृतिक रूप से शुद्ध है कहने का मतलब यह  नहीं कि RO को फेंक दिया जाय लेकिन उस पानी को रेमिनरलाइज किया जाना जरूरी होगा घड़े में कुछ देर रखने से  थोड़ी राहत मिल सकती है लेकिन फ़िल्टर RO से ज्यादा बेहतर है।  हाँ मिनरल वाटर की प्लास्टिक बोतल को जितनी जल्दी अलविदा कह दें उतना अच्छा ।  बाकी पुराने तौर तरीके उबालने छानने और घड़े के साथ जो आप तबसे प्रयोग कर रहें हैं जब मिनरल वाटर और RO तकनीक पैदा भी नहीं हुई थी ।   -डॉ ललित  मिश्र (साथ में डॉ अमित शुक्ल 9412957166  व् डॉ राधा कांत पांडेय 9760534523 )

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