Sunday, December 31, 2017

छोटा बच्चा समझ के -


इस वर्ष न्यायपालिका ने कुछ ऐतिहासिक निर्णय दिए उनमे से एक यह भी था कि किशोर अपराधियों को बालिग माना जाय बालिग की तरह मुकदमा चलाया जाए । इस बात को पिछले दो तीन साल से मैं भी कई बार रख चुका हूँ । तकनीक और बढ़ती मेधा व बुद्धि नई पीढ़ी को 4 जी से न जाने कितने नए G तक पहुंचा चुकी है और हम हैं कि नई पीढ़ी को बच्चा समझते हैं । ये बच्चे नए ढंग से सोचते और करते हैं इनकी दुनिया बहुत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है । हम आप इस बात पे तो खुश हो जाते हैं कि हमारा बच्चा बहुत शार्प है लेकिन जब वो अपने अधिकार चाहता है तो हम उसे डांट डपट कर चुप करा देते हैं ।अपराध यहीं से बढ़ते हैं जब हम उस की मनः स्थिति को समझने का प्रयास नही करते । पढ़ाई और तकनीकी के इस दौर में 13 साल का बच्चा हमारे जमाने की 20 वर्ष की आई कयू वाला हो गया है । हम अभी भी उसे 10+2+3 सिस्टम में पढ़ने को मजबूर करते हैं जबकि वह 10 या 12 साल में कुछ नया कर गुजरने या रोजगार करने को उतावला है । पहली बात तो उसे 12 वी के बाद ही रोजगार का हक मिल जाना चाहिए भले ही बारहवीं में आप स्नातक तक का ज्ञान उड़ेल दीजिये । 15 साल पढ़ाई कर के भी हम कौन सा रोजगार उसे दे दे रहे हैं । दूसरी बात लड़कों के विवाह की उम्र 21से घटा कर 18 कर देनी चाहिए । युवा मन देश की प्रगति की धीमी रफ्तार से संतुष्ट नही है वह सब कुछ बहुत तेज़ी से चाहता है जिन बदलावों को वो दुनिया मे देख और सुन रहा है उसे अपने देश मे होते देखना चाहता है । वो ये भी चाहता है कि देश के बदलाव में अपना योगदान दे किन्तु दुर्भाग्यवश 18 वर्ष के पहले उसे वोट देने का हक़ नही है । बताते चलें कि देश की आबादी का 41% 18 वर्ष से कम है ये इतना बड़ा हिस्सा है जो देश की लगभग हर नीतियों से प्रभावित होता है किंतु अपनी राय नही दे सकता । बच्चों और किशोरों पर हो रहे अत्याचार को बुढ्ढे लोग रोक नही पा रहे हैं और न ही किशोरों को नीति निर्माण में शामिल होने दे रहे हैं तो सुधार कैसे होगा ? जिसके पास बल और बुद्धि है उसके पास पॉवर नही जिसके पास पॉवर है वो थका हुआ है । इस स्थिति को बदलने की जरूरत है इसलिए 15 से 18 वर्ष के इस 5 G जेनरेशन को वोटिंग राइट अब मिल ही जाना चाहिए और साथ ही 15 वर्ष के ऊपर के सभी नागरिकों को व्यस्क माना जाना चाहिए । सिर्फ इतना करने से लगभग 8 प्रतिशत नए नागरिकों ( किशोरों )को देश की नीति बनाने में हिस्सा मिलने लगेगा । पढाई में लंबे समय तक फंसाने के बजाय बारहवीं के बाद ही रोजगार देने की नीति युवा ताकत को देश हित मे मोड़ेगी । कुछ लोग जो किशोर और बच्चों को कम बुद्धिमान मानते हैं उन्हें फिर से सोचने की जरूरत है । -सत्यमेव जयते

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