Saturday, August 21, 2010

bagawat

यही इलज़ाम है सर पर क़ि मै तकरार करता हूँ
तुम्हारे हक़ हुकूकों के लिए हर बार करता हूँ
सिलसिला इस तरह जारी रहे अपनी बगावत का
मै बागी हूँ बगावत धर्म को स्वीकार करता हूँ - ललित

No comments:

Post a Comment