Monday, August 16, 2010

ghar aur jeevan

अरमानों की धुप उतरती आँगन में
दालानों का दर्द कबीरा गाता है
पोथी फटी -फटी सी ढाई आखर की
कागा बैठ मुंडेरी पर इतराता है
इस देहरी की ये ही राम कहानी है
चौखट चौबारे से गहरा नाता है
बंधन का अनुपम सौंदर्य कंगूरे में
ओसारे का तन मन भीगा जाता है
चूती छत और टूटी छप्पर छानी में
दर्शन जीवन का गहराता जाता है
आना जाना यहाँ एक परिपाटी है
इस जग से जन्मों -जन्मों का नाता है
उजियारे की चूनर थामे हाथों में
बस्ती का इतिहास फकीरा गाता है-ललित

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