देवल आशीष की एक रचना-
(bhrashtachar के खिलाफ़ बड़ी लड़ाई के लिए तैयार होना होगा )
मोहब्बत के शहर का आबोदाना छोड़ देंगे क्या
जुदा होने के डर से दिल लगाना छोड़ देंगें क्या ?
जरा सा वक्त क्या बदला क़ि चेहरों पर उदासी है
ग़मों से खौफ खाकर मुस्कराना छोड़ देंगें क्या?
बला से इनके तूफां हो के बारिश हो सुनामी हो
घरौंदे रेत पर बच्चे बनाना छोड़ देंगें क्या ?
गजब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्
ReplyDeleteDewal ashish is my one of the best poet
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteWa aaah
ReplyDelete