शुक्ला दरोगा -
नाम तो उनका शंकर दत्त शुक्ला था । नए नए रौनाही थाने में आए थे । लेकिन इलाके के लोग उन्हें शुक्ला दरोगा के नाम से ही जानते थे । चलते बुलेट से थे। जिस तरफ उनकी बुलेट निकलती थी रास्ता साफ हो जाता है । तब के जमाने में दबंग जैसी फिल्में नहीं बनी थीं न ही सिंघम का किरदार। बल्कि पुलिस तो तब पहुंचती थी जब हीरो अपना काम कर चुका होता था । लेकिन फैजाबाद जिले के रौनाही इलाके के हीरो तो शुक्ला दरोगा ही थे । लंबा चौड़ा शरीर और ऊपर से पहलवान और जब बुलेट पर बैठते थे अकेले ही पूरा थाना लगते थे ।
ये वो दौर था जब गांव के इलाकों में चोरी, डकैती, लूट आम घटनाएं हुआ करती थीं । गौहन्ना भी इससे अछूता न था । उस समय गौहन्ना बाराबंकी जिले का हिस्सा हुआ करता था लेकिन था वर्तमान अयोध्या जिले का बॉर्डर । थाना भी रुदौली हुआ करता था लेकिन शुक्ला दरोगा के आने से आस पास के थानों से भी अपराधी नदारद होने लगे थे । खौफ उनका इतना था कि गांव के किनारे अगर बुलेट की आवाज आ जाय तो पुराने डकैतों के उस्ताद के भी पैजामे गीले हो जाते थे । वकील साहब से दोस्ती के नाते उनका हलके से बाहर गौहन्ना गांव आना लगा रहता था । गांव वाले भी उन्हें अपना ही दरोगा समझते थे ।
प्रशासन के फॉर्मूलों में एक अघोषित पर मशहूर फॉर्मूला 'कौआ टांगना' होता है । जिस तरह किसान फसल बचाने के लिए खेत में एक कौआ मार कर टांग देता है तो अगले दिन से उस खेत में कोई भी कौआ नजर नहीं आता उसी तरह शुक्ला जी भी करते थे । शुक्ला दरोगा इस फार्मूले के माहिर थे । फैशन के चक्कर में न जाने कितने हिप्पी लौंडे उनकी भेंट चढ़ चुके थे मजनुओं के लंबे -लंबे बाल को नाई से उस तरह उतरवाते थे जैसे खुरपे से घास छीली जाती है. उसके बाद तो लंबे बालों का शौक एक लंबे समय तक मजनू लोग पूरा नहीं कर पाए ।ये घटना भले रौनाही चौराहे पर हुई हो लेकिन खबर गांव गांव में चटकारे लेकर सुनी और सुनाई जाती थी ।
"अरे आज एक जने आधी बांह मोड़ के रौनाही गे रहे
शुक्ला दरोगवा पकर के उनके कपड़ा आधी बांह से कटवाय दिहिस ।" ....
.... शाम को अलाव के पास इस तरह की चर्चाएं गांव गांव में आम थीं । संभ्रांत लोग और सभ्य समाज में इस तरह की चर्चाएं एक तरह से लोगों में कानून के प्रति और अधिकारी के प्रति भरोसे का प्रतीक थीं और उसका असर ये था कि चोर उचक्के लफंगे और मजनुओं ने भूमिगत होने में ही भलाई समझी । इस दौर में मीडिया के नाम पर रेडियो व अखबार ही हुआ करते थे ,आज का दौर होता तो सोशल मीडिया पर तानाशाह होने का आरोप लगा के वीडियो वायरल कर दिया जाता । हालांकि शुक्ला दरोगा जितना करते थे उससे ज्यादा उनकी कहानियां उस दौर में वायरल हुआ करती थीं । अब कौन तस्दीक करने जाय कि ये सब हुआ भी या नहीं। उन्हीं कहानियों में एक कहानी ये भी थी कि कोई एक हाथ से सायकिल चला रहा था तो शुक्ला जी ने उसका आधा हैंडल कटवा दिया था । कोई अपनी पत्नी को धूप में पैदल बिदा करा कर ला रहा था तो उसको कंधे पर लाद कर लेे जाने का फरमान सुना दिया आदि आदि । ये सब कहानियां बड़े नए नए अंदाज में लोग एक दूसरे को सुना के खुश हुआ करते थे ।
मुगदर भांजने और कसरत के शौकीन शुक्ला जी दस दस लीटर दूध पीने के लिए मशहूर थे । कटोरा भर के घी पीने वाले शुक्ला दरोगा इलाके की जनता के हीरो थे और जनता के रहनुमा । जिनके नाम से ही पूरा इलाका चैन की नींद सोता था। इस दौर में सिपाही सायकिल से ही अपनी बीट का दौरा करते थे । थ्री नॉट थ्री टांगे और बेंत सायकिल में फंसाए ये सिपाही जिस गांव में रात हो जाती थी वहीं रुक जाते थे खाने पीने का इंतजाम किसी संभ्रांत परिवार से हो ही जाता था । गांव का चौकीदार साहब के पैर दबाने से लेकर नहलाने तक पूरा खयाल रखता था ।
सुबह सुबह गांव से निकलने के पहले सिपाही दसियों सूचना लेकर निकलता था । हफ़्ते भर की मुखबिरी गांव में इकठ्ठा हुई रहती थी जो मुखबिर न भी हो वो अपने नम्बर बढ़ाने के चक्कर में कुछ न कुछ बता ही देता था ।
'अरे पाड़े कहां जात हो ?
सुना है शुक्ला दरोगा आवा हैं।उनही का देखै जाइत है ।'
प्रेम चन्द के नमक का दारोगा का ह्रदय परिवर्तन तो बाद में होता है लेकिन शुक्ला दरोगा जन्मजात जनता के सेवक थे सो बने ही रहे ।जनता ने भी इस अफसर को सर आंखों पर बिठा के रखा। इस दौरान उन्होंने सख्ती व इमानदारी भी बना कर रखी ।
आम जनता अपने हीरो शुक्ला दरोगा को देखने के लिए उमड़ पड़ती थी जिस तरफ से उनकी बुलेट गुजरती थी उस तरफ उनकी चर्चा हफ़्ते भर रहती थी । साहब का इकबाल जिस तरह बुलंद होना चाहिए उस तरह बुलंद था । बताते हैं कि एक बार रेलवे की पटरी पर भी बुलेट दौड़ा दिए थे । उनके तबादले के बाद भी कई सालों तक शुक्ला दरोगा के लिए इलाका तरसता रहा। संभवतः पुलिस उपाधीक्षक पद से सेवा निवृत्ति के बाद भी ये सिंघम आज भी उस दौर के लोगों के दिलों दिमाग में बसा हुआ है ।
- डॉ ललित नारायण मिश्र
(गौहन्ना डॉट कॉम पुस्तक का अंश)
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteSuper Hero
ReplyDeleteबहुत प्रेरक है।
ReplyDeleteSo proudly...dad in law
ReplyDeleteचलचित्र की तरह प्रस्तुत किया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
बहुत बढ़िया 👌👌
ReplyDeleteरेणु जी के मैला आँचल जैसी चित्रकथा। सर्वथा सार्थक चित्रण।
ReplyDeleteबहुत सुंदर 👌🙏
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