Monday, September 7, 2020

"पेंशन"-


"पैसों की कमी है तो आप बच्चों से कहते क्यों नहीं ?अब तो पढ़ लिख के दो पैसे कमाने भी लगे हैं" । निर्मला ने पंखा झलते हुए पति से कहा तो रमेश ने चेहरा उठा के पत्नी की तरफ देखा । लंबी गहरी सांस लेकर कहने लगे "अरे काम तो चल ही रहा है बच्चों पर वैसे जी इतनी बड़ी जिम्मेदारी पहले से ही है जितना वेतन मिलता होगा वो बच्चों को पढ़ाने में ही चला जाता है स्कूल की फीस, ऑटो का खर्चा , ट्यू शन की फीस , मकान का किराया कैसे खर्च चलता होगा निखिल का ये तो सोचो । फिर अपना क्या है रूखा सूखा खा के काम चल ही जाता है "। कह के रमेश यादों में खो गए ।
अप्रैल के पहले मंगलवार को छोटे बेटे का रिज़ल्ट आ गया था उस दिन घर में बड़ी धूम धाम थी शुभम अपने पहले ही प्रयास में जजी की परीक्षा पास कर चुका था घर में रिश्ते के लिए फोन घनघनाने लगे थे रमेश अपने नोकिया मोबाइल पर सबको तसल्ली दे रहे थे कि ट्रेनिंग पूरी होने दो उसके बाद शादी कर देंगे ।
ट्रेनिंग के बाद रमेश ने शुभम की शादी एक जज साहब की बेटी से कर दी उनको लगा था कि जज साहब का व्यवहार जब इतना अच्छा है तो उनके बच्चों का भी अच्छा ही होगा ।
उम्र के साथ रमेश को शुगर और ब्लड प्रेशर की दिक्कत आने लगी थी लेकिन बच्चों को पढ़ाने में उनने कोई कोर कसर न छोड़ी ।सोचा बच्चे कहीं लग जाएंगे तो इलाज के लिए पैसे अपने आप ही मिल जाएंगे । लेकिन ऐसा हुआ नहीं । बड़े बेटे निखिल को दिल्ली में मिली नौकरी ने ऐसा उलझाया कि घर कभी कभार आता था उसकी पत्नी को गांव के साथ साथ सास से भी चिढ़ सी लगती थी । अपने बच्चों को भी उसने दादा दादी से दूर ही रखा था ।
शुभम की बहू कुछ दिन ही संस्कार की ओढ़नी बचा पाई धीरे धीरे बड़ी बहू से गुरु मंत्र लेकर उसने भी रमेश और निर्मला से किनारा कस लिया ।
"आप ही संभालो इस नकचढ़ी बुढ़िया को मेरे बस का नहीं " शुभम की बहू दिव्यांश को स्कूल ड्रेस पह नाते हुए बोली । "जब जब शहर आतीं हैं घर में अपनी हुकूमत चलाने लगती हैं अब मैं उन्हें यहां नहीं बुलाऊंगी आपकी मम्मी हैं आप ही उनको संभालो ।"
.. " भैया क्या इसी दिन के लिए मम्मी पापा ने हम लोगों को पढ़ाया था" शुभम ने रुआसे होकर ऑफिस से लौटते समय बड़े भाई को फोन किया ।" हां छोटू मुझे भी यह बात हरदम कचोटती है कि मम्मी पापा कैसे अपना खर्च चलाते होंगे । दिन रात मेहनत कर के हमें पढ़ाया । ऐसा कोई भी महीना नहीं गया जब समय से पापा का मनी ऑर्डर न आया हो । लेकिन इन लोगों के चलते मां बाप से हम लोग दूर होते जा रहे हैं क्या उपाय किया जाय छोटू तू ही बता तेरी भाभी को बात पता चलेगी तो मेरी जान खा जाएगी " ।
.. शुभम तुझे याद है न कि मम्मी पापा अपने लिए एक साल के बजाय दो साल में नए कपड़े लाते थे कि हम लोगों की पढ़ाई ठीक से चल सके अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाया कि हम लोग बड़ी पोस्ट पर पहुंच जाय । कहते कहते निखिल यादों में खो गए जब मम्मी ने मामा से राखी में मिले पैसों से उसे इलाहाबाद कोचिंग के लिए भेजा था । हर महीने राशन गांव से भिजवा देती थीं । फिर शुभम भी वहीं तैयारी के लिए साथ आ गया था किराए के कमरे में दोनों भाई रहते थे । आखिर एक दिन निखिल स्टाफ सेलेक्शन कमीशन में सफल हो ही गए थे । उनकी खुशी तब दोगुनी हो गई जब शुभम भी जज बन कर निकला था ।
.."कुछ तो उपाय करना पड़ेगा भैया क्या हम उस दौर में पहुंच गए हैं जहां मदर्स डे और फादर्स डे पर ही फेसबुक में मां बाप के गीत गाएंगे । भैया हमने भी लॉ और फिलोसॉफी से तैयारी की है । अब मम्मी पापा को क्या इनके कहने से दूर कर देंगे" ?
.."तो क्या सोचा छोटू "? निखिल ने कहा.
"बस देखते जाओ भैया" शुभम बोला । हमने भी संस्कार अपने गांव से सीखे हैं । केवल नौकरी के लिए पढ़ाई हमने भी नहीं की है भैया".
" हैलो मै जज साहब का स्टेनो बोल रहा हूं आप बैंक मैनेजर साहब बोल रहे हैं न"?
"जी बोल रहा हूं".
..साहब आपसे बात करना चाहते हैं कह कर स्टेनो ने काल जज साहब को ट्रांसफर कर दी ।
... मैनेजर साहब ...
"जी साहब ..
समझ गया साहब" ..
"जी साहब हो जाएगा" ...
.. "अजी सुनती हो खाते में दो हज़ार रुपए आएं हैं समझ में नहीं आ रहा किसने भेजे "।
.."अरे हां मेरे खाते में भी आज कुछ पैसे आए है कौन भेज रहा होगा " निर्मला बोली।
" हो सकता है बुजुर्ग समझ कर सरकार दे रही होगी ? लेकिन हम तो सरकारी सीमा से अधिक आय वाले हैं सेक्रेट्री तो यही कह रहे थे । अच्छा चलो छोड़ो गलती से आ गए होंगे " कहते हुए रमेश ने गहरी सांस ली ।
अगले महीने..
"अरे फिर से मेरे खाते में पैसे आए" ।
"अरे हां मेरे खाते में भी आए ।और एक मोबाइल भी डाकिया दे गया है उसमे वीडियो काल भी होती है" - पत्नी बोली ।
ट्रिंग ट्रिंग ...
ट्रिंग ट्रिंग..
"अरे किसका फोन है निर्मला "?
"वीडियो काल है किसी की ।
...अरे ये तो छोटू है" हां मम्मी भैया भी कॉन्फ्रेंसिंग पे हैं "। "छोटू पैसा तुम भेज रहे हो क्या"?
"हां मम्मी लेकिन ये बात बहू को मत बताना । सीधे खाते से लिंक है आपका अकाउंट हर महीने मिलते रहेंगे
पापा क्या कर रहे हैं मम्मी" ?
"बैंक से पैसा निकाल कर अभी अभी लौटे हैं उनके खाते में भी हर महीने कोई *पेंशन* भेज रहा है" ।
मां नम आंखों से दोनों बेटों और उनके बच्चों की कुशल क्षेम पूछ रही थी और
दोनों भाई सुकून से मुस्करा रहे थे ।
-Lalit

No comments:

Post a Comment