Saturday, February 13, 2021

बरा -

 बरा -

उत्सवों के देश भारत में उल्लास के नए नए तौर तरीके और त्यौहार होते हैं । उत्सव और व्यंजन का हमेशा से चोली दामन का साथ रहा है । बरा उत्सवों का राजा रहा है । होली हो या ईद बरा अवध की शान रहा है । दक्षिण भारत में सांभर बड़ा तो अन्य जगह बड़ा या बरा नाम से इसे जाना जाता है । शादी विवाह, मुंडन, जनेऊ, हर संस्कार बरा के बिना अधूरा है । दही में पड़ जाय तो दही बड़ा भी बन जाता है । खट्टी या मीठी जिस तरह की चटनी के साथ खाना हो बरा तो बड़ा ही होता है । जीरा के बिना दही बड़ा अधूरा ही रहता है । उड़द की भीगी व पिसी हुई दाल से बड़ा सहित कई व्यंजन बनाए जाते हैं ।
गौहन्ना और आस पास के इलाके में अस्सी के दशक में शादियां तीन दिन की हुआ करती थीं। बताते है भगवान राम की बारात जनकपुर में महीनों रुकी थी तो अवध में तीन दिन भी न हो ये कैसे हो सकता है ? बारातियों को दूसरे दिन रसेदार कटहल की सब्जी मिलती थी और साथ में दही बड़ा भी मिलता था । अवध क्षेत्र की कटहल की रसेदार सब्जी जिसने खाई होगी उस का स्वाद वहीं जानता होगा । ढूंढे से भी वो स्वाद आजतक किसी होटल में नहीं मिला । इस तरह की शादियों में दही चूरा भी खूब चलता था । भगवान राम की शादी में जब दशरथ जी जनकपुर पहुंचे तो स्वागत में उपहार में दही चूरा भर भर के मिला था जिसे रास्ते भर बाराती खाते हुए आए थे।
दधि चिउरा उपहार अपारा
भरि भरि कांवरि चले कहारा ..
आज के दौर में तीन दिन की शादियां रात भर में निपट जाती हैं जो लगता है भविष्य में तीन घंटे की ही रह जाएंगी ।
गौहन्ना और आस पास के क्षेत्रों में गुड़िया और अनंता के त्योहार पर सिंवई भी बनती है । बगल के गांव बड़ा गांव में ईद पर सिंवई ही उत्सव की शान होती है । होली के मुख्य व्यंजन के रूप में गुझिया पूरे देश में प्रसिद्ध है । कहते है कि गुझिया अवध की ही खोज है । सोंठ से बनने वाले व्यंजन सोंठौरा बच्चे के जन्म के समय मां का अनिवार्य पौष्टिक आहार होता है । खिचड़ी के दिन उड़द की खिचड़ी जरूर बनती है । खिचड़ी के चार यार प्रसिद्ध हैं
खिचड़ी के चार यार
घी , पापड़,दही, अचार
और फिर थारिया यानि थाली भर भर खिचड़ी यारों के साथ स्वाद का खजाना बन जाती है । फिलहाल इन सब व्यंजनों में राजा साहब यानि बरा दही बड़े के रूप में आजकल शहरों में खूब बिक रहे हैं ।
(गौहन्ना डॉट कॉम पुस्तक का अंश)
Like
Comment

No comments:

Post a Comment